Sunday 6 August 2017

भारत का इतिहास (प्राचीन भारत)-(मगध और मौर्य सामराज्य ) भाग -6


मगध राज्य का उत्कर्ष
-मगध के सबसे प्राचीन वंश के संस्थापक व्रिह्द्रथ
-इसकी राजधानी गिरीब्रज थी
-हर्यक वंश के संस्थापक बिंबिसार मगध की गद्दी पर 544 ईसापूर्व बैठा बौद्ध धर्म को मानता था बिंबिसार ने व्राह्दत्त को हराकर अंग राज्य को मगध में मिला लिया
-बिम्बिसार ने राजगृह  का निर्माण कर उसे अपनी राजधानी बनाया
-बिंबिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने कर दी और खुद गद्दी पर बैठा
-अजातशत्रु का उपनाम कुनिक था वह जैन धर्म का अनुयायी था
-आजाद शत्रु की हत्या उसके पुत्र उदायिन ने कर दी
-उदयन ने पाटलीग्राम की स्थापना की
-वह भी जैन धर्म का अनुयाई था
-हर्यक वंश का अंतिम राजा उदायींन का पुत्र नागदसक था  
-शिशुनाग ने पाटलिपुत्र से राजधानी हटा कर वैशाली कर दिया
-शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक तुरंत राजधानी को पाटलिपुत्र अस्थापित किया
-शिशुनाग का अन्तिम शाशक नन्दिवर्धन था
-नन्द वंश का संस्थापक महापद्नंद था
-नन्द वंश का अंतिम शशक घनानंद था
-सिकंदर का जन्म 356 ई पु  में हुआ था
-सिकंदर का पिता का नाम फिलिप था

-सिकंदर का सेनापति सल्युकास निकेटर था

मौर्य साम्राज्य
-मौर्य वंश का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था
-इनका जन्म 345 ईसा पूर्व हुआ
-चाणक्य चंद्रगुप्त का प्रधानमंत्री था
-चाणक्य द्वारा लिखी पुस्तक अर्थशास्त्र की इसका संबंध राजनीति से चं
-द्रगुप्त मौर्य जैन धर्म का अनुयाई था
-चंद्रगुप्त मौर्य 305 इ पु सल्युकुस निकेटर को हराया
-सल्युकुस निकेटर ने अपनी बेटी कार्नेलिया की शादी चन्द्रगुप्त मौर्या के साथ किया और चार प्रान्त काबुल कंधार , हेरात एवं मकरन चन्द्रगुप्त को दिए|
-चन्द्रगुपता मौर्या ने जैन धर्म की दीक्षा गुरु भद्रबाहू से लिया
-मेगास्थनीज ने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम इदिचा था
-मेगास्थिनिज सल्युकुस निकेटर का राजदूत था जो चंद्रगुप के दरबार में रहता था
-चन्द्रगुप्त मौर्य और सल्युकुस के बिच युद्ध का वर्णन अप्पियानुस ने किया
-चन्द्रगुप्त मौर्य के मृत्यु 298 इ पु श्रवान्बेलागोला में उपवास के दौरान हुयी
बिन्दुसार

-चन्द्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिन्दुसार हुआ
-बिन्दुसार को अमित्रघात के नाम से जाने जाते थे जिसका अर्थ है शत्रु विनाशक
-वायुपुराण में बिन्दुसार को भाद्र्सर कहा गया हिया
-जैन ग्रन्थ के अनुसार बिन्दुसार को सिंहसेन कहा गया
-बिन्दुसार के सासन कल में तक्षशिला में दो विद्रोह का वर्णन है इस विद्रोह को कुचलने --बिन्दुसार ने पहले सुसीम और बाद में अशोक को भेजा
-बौद्ध विद्वान तारानाथ ने बिन्दुसार को 16 राज्यों का विजेता बताया
अशोक
-बिन्दुसार के बाद अशोक राजा बना जो जो बिन्दुसार का बेटा था
-राजगद्दी पर बैठते समय अहोक अवंती का राज्यपाल था
-मसकी और गुर्जरा अभिलेख में अशोक का नाम मिला
-पुराणों में अशोक को अशोकवर्धन कहा गया
-कलिंग पर आक्रमण किया और कलिंग की राजधानी तोसली को कब्ज़ा किया
-उपगुप्त नाम का बौद्ध भिक्षु अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी
-अशोक ने बराबर की पहरी में चार गुफा का निर्माण किया जिसका नाम कर्ज चोपर सुदामा और विश्व झोपरी
-अशोक के माता का नाम सुभ्द्रंगी था
-अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा
-भारत में शिलालेख का प्रचालन सवर्प्रथम अशोक ने किया
-अशोक के शिलालेख में ब्राम्ही खरोष्ठी, ग्रीक और अरमाइक लिपि में हुआ
-ग्रीक और अरमाइक लिपि अफाघ्निस्तान से खरोष्ठी पाकिस्तान से और शेष भारत से प्राप्त हुआ
-अशोक के अभिलेख टिन भाग में बाटें गए—शिलालेख , स्तम्भलेख , और गुहलेख
-अशोक के शिलालेख की खोज 1750 में paatreti phentheler ने की
-अशोक के अभिलेख को पढने में सबसे पहली सफलता 1837 में james prisep ने की
-अशोक के स्तम्भ लेखों की संख्या 7 है जो केवल ब्राम्ही लिपि में थी  यह छह अलग अलग स्थान से मिला
-कौशाम्बी अभिलेख को रानी का अभिलेख कहा जाता है
-अशोक का 7 वां अभिलेख सबसे लम्बा है
-अशोक का शार ए किना अभिलेख ग्रीक और आर्मेइक भाषा में मिला
-अशोक के समय मौर्या सामराज्य की में प्रान्तों की संख्या 5 थी
-मौर्या शाशन 137 वर्षो तक रहा
-मौर्या वंश का अंतिम शाशक बृहद्रथ था

-बृहद्रथ की हत्या सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की और शुंग वंश की स्थापना की 


भारत का इतिहास (प्राचीन भारत)-(बौद्ध धर्म, इस्लाम धर्म , इसाई धर्म) भाग -5

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