Tuesday, 8 August 2017

भारत का इतिहास (प्राचीन भारत)-(मौर्य सामराज्य के कुछ खास महत्वपूर्ण बिंदु ) भाग -7






मौर्य सामराज्य के कुछ खास महत्वपूर्ण बिंदु


नोट
-चाणक्य का दूसरा नाम विस्नुगुप्त था
-अशोक का ह्रदय परिवर्तन करने वाली और उसको प्रभावित करने वाली पत्नी का नाम कारुवाकी थी
-बिदुसार ने विद्रोह कुचलने के लिए अशोक को तक्षशिला भेजा
-देवन पियादाशी अशोक को कहा जाता था
-सबसे प्राचीन राजवंश मौर्या था
-अशोक ने कलिंग विजय के बाद बौद्ध धर्म को अपनाया
-साँची किस कला और मूर्तिकल का निरूपण है – बौद्ध
-प्राचीन भारत का शासक चन्द्रगुप्त मौर्य अपने जीवन अंतिम दिनों में जैन धर्म को अपनाया
-मौर्य साम्राज्य में प्रचलित मुद्रा पण था
- अशोक का उत्तराधिकरी कुनाल था
-पाटलिपुत्र में अशोक का शिलालेख नहीं है
-नन्द वंश के बाद मगध पर मौर्य राजवंश का शासन रहा
-तक्षशिला , मौर्य कल में सर्वाधिक प्रशिध शिक्षा का केंद्र था
-विशाखा दत्त के ग्रन्थ में चाद्रगुप्ता मौर्य के बारे में अधिक वर्णन है
-इंडिका पाटलिपुत्र के प्रशासन वेवस्था का श्रोत है
-अशोक के शिलालेख में प्रयुक्त भासा प्राकृत है
-मौर्य राजा चन्द्रगुप्त ने दक्कन पर विजय प्राप्त की
-मगस्थ्निज ने भारतीय समाज को सात भागों में विभाजित किया
-श्रीलंका अशोक के समर्ज्य में सम्मिलित नहीं है
-चन्द्रगुप्त मौर्य ने पाटलिपुत्र को सबसे पहले राजधानी बनायीं
- पाटलिपुत्र में स्थित चन्द्रगुप्त का महल लकरी का था
-प्रथम भारतीय समर्ज्य चन्द्रगुप्त द्वारा स्थातपित हुआ
-उत्तराँचल के कलसी में अशोक का शिलालेख स्तिथ है
-साँची का स्तूप अशोक ने बनाया
-कलिंग युद्ध विजय तथा छतरियों का वर्णन अशोक के शिलालेख xii में है
-मेगास्थिनिज चन्द्रगुपत के दरबार में आया था
-अशोक जनता के संपर्क में रहता था

-अशोक का समकालीन तुरमय मिश्र का रजा था 

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